यूनिकॉर्न ड्रीम्स:IPL शुरू हुआ तो आया Dream 11 का आइडिया; फुटबॉल में फैंटसी, तो क्रिकेट में क्यों नहीं
DREAM11
टीवी पर आपने ऐड देखा होगा। जिसमें महेंद्र सिंह धोनी कहते हैं कि ‘अरे वाह दिमाग लगाना है तो Dream 11 पर लगाओ न’, या फिर हार्दिक पांड्या का वो ऐड- ‘अगर ड्रीम बड़ा हो, तो कोई अकेला नहीं होता, Dream Big Dream 11।’
क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वालों के लिए Dream 11 कोई नई चीज नहीं है। देश की पहली क्रिकेट फैंटसी कंपनी, पहली गेमिंग यूनिकॉर्न। आज दुनियाभर की फैंटसी कंपनियों में टॉप पर है।
Unicorn Dreams with कुशान अग्रवाल’ में आज हमारे साथ हैं Dream 11 के CEO हर्ष जैन। बातें Dream 11 की शुरुआत, जर्नी और कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की। तो चलिए शुरू करते हैं…
कुशान: अपने बचपन के बारे में बताइए। आपकी परवरिश किस माहौल में हुई, पढ़ाई और स्पोर्ट्स में कैसे थे आप?
हर्ष जैन: मुंबई में पला-बढ़ा। 10वीं तक पढ़ाई यहीं हुई। फिर 11-12वीं के लिए UK चला गया। इसके बाद अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से ग्रेजुएशन किया। जहां तक स्पोर्ट्स की बात है, बचपन से ही इसमें काफी दिलचस्पी रही। दोस्तों के साथ फुटबॉल और क्रिकेट खेलता था।
कुशान: आप यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से पढ़ाई कर रहे थे, फुटबॉल के जबरदस्त फैन थे, फिर फैंटेसी क्रिकेट का आइडिया कैसे आया?
हर्ष जैन: मुझे बचपन से ही सारे स्पोर्ट्स काफी पसंद रहे। जब अमेरिका में इंजीनियरिंग कर रहा था, तब फुटबाल का खुमार था। वहां फैंटसी फुटबॉल खेलता था। भारत में IPL की शुरुआत हुई, तो मेरे दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न क्रिकेट में भी कुछ शुरू किया जाए। बस यहीं से Dream 11 के कॉन्सेप्ट पर काम करना शुरू कर दिया।
कुशान: Dream 11 की शुरुआत कैसे हुई? शुरुआत में आपका और भावित सिर का रोल क्या था, और इन्हें कैसे तय किया?
हर्ष जैन: भावित मेरा बचपन का दोस्त है। 2008 में मेरे दिमाग में फैंटसी क्रिकेट का आइडिया आया। मैंने ये बाद अपने दोस्तों को बताई। उन लोगों में से सिर्फ भावित मेरे साथ काम करने के लिए तैयार हुआ। इसके बाद हम दोनों ने मिलकर Dream 11 की शुरुआत की।
जहां तक दोनों की रोल की बात है, भावित कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, यानी COO हैं। वे ऑपरेशन का काम संभालते हैं। वहीं मैं टेक, प्रोडक्ट, डिजाइन और मार्केटिंग का काम देखता हूं।
कुशान: क्या शुरू होते ही आइडिया चल पड़ा, या कुछ मुसीबतें आईं? मुश्किल वक्त में आपने कंपनी को कैसे आगे बढ़ाया?
हर्ष जैन: मुसीबतें तो बहुत आईं और अभी भी आती हैं। एक एंटरेप्रेन्योर की जर्नी मुसीबतों से भरी होती हैं। कुछ भी आसानी से हासिल नहीं होता। हर दिन अलग-अलग चैलेंजेज फेस करने पड़ते हैं। सच कहूं तो इन्हीं मुसीबतों से लड़ते हुए आगे बढ़ने में मजा है।
शुरुआत में हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज था एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार करना, जिसे लोग पसंद करें। ये काम हमने पूरा किया, फंडिंग की दिक्कत होने लगी। इसके बाद ग्रोथ और मार्केटिंग की चुनौती हमें फेस करनी पड़ी।
अब हमारी टीम 2 लोगों से बढ़कर 1 हजार तक पहुंच गई है। इतनी बड़ी टीम को मैनेज करना, उन्हें लगातार मोटिवेट करते रहना और एफिशिएंसी बनाए रखना भी अपने आप में चुनौती है।
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कुशान: आपने शुरुआत में फंडिंग के लिए क्या उपाय किए?
हर्ष जैन: शुरुआत में तो हमारी फैमिल ने काफी सपोर्ट किया और उन्हीं के पैसों से हमने अपने काम को आगे बढ़ाया। 2008 से 2015 तक, यानी सात साल तक Dream 11 में फैमिली ने ही पैसे इन्वेस्ट किए। इसके बाद हमने बाहर से फंडिंग करने का सोचा, क्योंकि हमें यह भी साबित करना था कि इसमें सिर्फ हमारा पैसा नहीं लगा है, बाहर के इन्वेस्टर्स भी हमारी कंपनी पर भरोसा करते हैं। इसके बाद हमने वेंचर कैपिटलिस्ट से फंड रेज करना शुरू किया।
कुशान: वो कौन सा साल या वक्त था, जब आपको लगा कि अब Dream 11 कामयाबी की राह पर है?
हर्ष जैन: मेरा मानना है कि कामयाबी की भूख हमेशा बनी रहनी चाहिए। अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने कहा था कि अभी भी अमेजन का डे जीरो ही चल रहा है। जब डे वन आएगा, तो कंपनी मर जाएगी। इसलिए लाइफ में एंटरप्रेन्योरियल इन्स्टिंक्ट हमेशा रहना चाहिए।
हालांकि, जब हमारा इन्वेस्टमेंट सीरीज A खत्म हुआ, तब हमें लगा कि इन्वेस्टर्स Dream 11 में भरोसा करते हैं। इसके बाद जब सीरीज D में हमें यूनिकॉर्न का टैग मिला तो लगा कि हमारी कंपनी अब स्टेबल हो गई है और हमने अपना ड्रीम अचीव कर लिया है।
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कुशान: Dream 11 का मॉडल हमारे रीडर्स के लिए समझाइए। ये काम कैसे करता है? क्या ये वाकई गेम ऑफ स्किल है या गेम बाई चांस।
हर्ष जैन: हमारा प्रोडक्ट आपको एक बेहतर सिलेक्टर बनने का मौका देता है। हर टीम में एक सिलेक्टर कमिटी होती है, जो 30-40 प्लेयर्स में से कुछ को सिलेक्ट करती है। इसमें बहुत सारा स्किल लगता है।
मसलन कौन-सी पिच पर वेदर के हिसाब से किसे बॉलिंग या बैंटिंग करनी चाहिए। किस अपोनेंट के खिलाफ किस प्लेयर को चांस देना चाहिए। इस लिहाज से यह गेम ऑफ स्किल ही है। हमारे नेशनल सिलेक्टर्स के पास कुछ स्किल है, तभी उन्हें टीम बनाने का काम मिलता है।
इतना ही नहीं हमने बहुत सारे टेस्ट भी चलाए हैं, जो मैथिमेटिकली प्रूव करते हैं कि यह गेम ऑफ स्किल है। इससे भी अहम बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 बार और हाईकोर्ट ने 5 बार हमारे केस को प्रूव किया है कि ये गेम ऑफ गैंबलिंग या बेटिंग नहीं है। यह रेगुलर बिजनेस एक्टिविटी है, जो भारत के संविधान से प्रोटेक्टेड है। यूट्यूब पर लाखों ऐसे वीडियोज हैं, जो स्टॉक की तरह खिलाड़ियों की एनालिसिस करते हैं।
कुशान: Dream 11 का बिजनेस मॉडल क्या है? कंपनी की कमाई कैसे होती है?
हर्ष जैन: हम यूजर्स को एक प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराते हैं। जहां आप दोस्तों या दूसरे लोगों के साथ खेल सकते हैं। पैसे भी आप लोगों के बीच ही रहेंगे। इसमें पूरी ट्रांसपेरेंसी होती है। हम तो बस 10-15% प्लेटफॉर्म फी लेते हैं। यहीं हमारे रेवेन्यू का सोर्स है। हम अपने ऐप पर कोई ऐड नहीं देते हैं।
कुशान: Dream 11 का ऐड देखकर लगता है कि आपने सारे प्लेयर्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है। मल्टिपल प्लेयर्स से ऐड कराने के पीछे क्या खास सोच है?
हर्ष जैन: यह गेम है स्पोर्ट्स लवर्स का। इसलिए, अगर किसी सिलेब्रिटी को रखना ही है, तो हमें कोई ऐसा सिलेब्रिटी चाहिए जो फैंस को पसंद आए। कुछ लोग ऐसे होंगे, जो हार्दिक पांड्या के फैन हैं। कुछ लोगों को रोहित शर्मा, या ऋषभ पंत या जसप्रीत बुमराह पसंद हैं। इसलिए, अलग-अलग प्लेयर्स से ऐड करवाने से सारे फैंस अपने फेवरेट प्लेयर को रिलेट कर पाते हैं।
कुशान: फैंटेसी क्रिकेट के बिजनेस की चुनौतियां क्या हैं? आप इस सेक्टर में पहले थे, लेकिन अब बहुत से प्लेटफॉर्म्स हैं। इससे कैसे डील कर रहे हैं?
हर्ष जैन: 15 साल पहले जब हमने फैंटसी क्रिकेट की शुरुआत की थी, तो हम अकेले थे। 7 साल तक कोई कॉम्पिटिटर नहीं था हमारा। अब इस सेक्टर में 300 कंपनियां हैं। हर कंपनी स्पोर्ट्स के फैंस को एजुकेट कर रही हैं कि यह सेक्टर क्यों अच्छा है, क्यों मजेदार है। इससे पूरी इंडस्ट्री ग्रो कर रही है।
अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘राइजिंग टाइड लिफ्ट्स ऑल बोट्स।’ वैसे ही जब कॉम्पिटिशन बढ़ेगा, तो पूरी इंडस्ट्री ग्रो करेगी और हम सब का फायदा होगा।
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कुशान: यंग एंटरप्रेन्योर्स को आप लाइफ लेसन और बिजनेस लेसन क्या देना चाहेंगे?
हर्ष जैन: लाइफ लेसन ये है कि कभी हार मत मानो। अपने सपनों को कभी छोड़ो मत। लगे रहो, और एक ‘नेवर गिव अप’ एटीट्यूड से काम करते रहो।
बिजनेस लेसन यह है कि बिजनेस अपने आप नहीं चलता। इसे चलाते तो लोग हैं। इसलिए इन लोगों को मोटिवेट करना, गाइड करना बहुत जरूरी है। एक बेहतर वर्क कल्चर से ही ज्यादा लोग आपके साथ जुड़ेंगे और आप बढ़िया परफॉर्म कर पाएंगे।
कुशान: हर्ष जैन पर्सनल लाइफ में कैसे हैं? आप खाली वक्त में क्या-क्या करते हैं?
हर्ष जैन: मुझे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है। साथ-साथ फुटबॉल का भी शौक है। जानवरों से बहुत लगाव है। मेरे पास पेट डॉग्स भी हैं। मेरी कोशिश होती है कि काम और फैमिली के बीच अच्छा बैलेंस बनाए रखूं। दो बेटे हैं, उनके साथ वक्त बिताना पसंद है। एक और बात, मुझे बाहर जाना पसंद नहीं है। दोस्तों से भी अपने घर पर ही मिलना प्रिफर करता हूं।